नकदी रहित भारत पर निबंध (Cashless India Essay in Hindi)
नकदी रहित भारत या कैशलेस भारत (कैशलेस इंडिया) एक मिशन है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने शुरू किया है। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की नकदी पर निर्भरता को कम करना है ताकि देश में बड़ी मात्रा में छुपे काले धन को बैंकिंग प्रणाली में वापिस लाया जाए। इस मिशन की शुरूआत नवंबर 8, 2016 को हुई जब सरकार ने एक क्रांतिकारी पहल करते हुए 500 रुपये एवं 1000 रुपये के पुराने नोटों का अचानक अवमूल्यन कर दिया।
कैशलेस इंडिया पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Cashless India in Hindi, Cashless India par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द).
नकदी रहित भारत की संकल्पना अभी हाल ही में प्रकाश में आई है और इसका श्रेय सही मायनों में केंद्र सरकार द्वारा अभी हाल ही में किए गए 500 रुपये और 1000 रुपये की मुद्रा के विमुद्रीकरण को जाता है। शरू-शुरू में तो लोगों को पुरानी मुद्रा को नई मुद्रा से बदलने एवं अपने ही खातों से पैसे निकालने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और यही वजह है कि सरकार के इस कदम की घोर आलोचना भी हुई।
सरकार के आलोचकों के अनुसार, बिना किसी पर्याप्त व्यवस्था के इतना बड़ा कदम अचानक उठाना ठीक नहीं था। उनके अनुसार ऐसा कदम उठाने से पहले ही सारे इंतजाम कर लेने चाहिए थे। आलोचकों का कहना है कि भारत में ऑनलाइन लेन-देन कतई सुरक्षित नहीं है और ऑनलाइन माध्यम से धोखाधड़ी की घटनाएं आम हैं और इसलिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को अपनाए जाने की आवश्यकता है। आलोचकों ने इस पूरे प्रकरण की बेहद डरावनी तस्वीर पेश की और यह तर्क भी दिया कि कि बाजार में आवश्यक नकदी प्रवाह की अनुपलब्धता के कारण, कई लोगों की मौत हो गई और कई लोगों की नौकरी चली गई।
हालांकि सभी पुराने 500 रुपये और 1,000 रुपये की मुद्रा के विमुद्रीकरण के बाद देश में डिजिटल माध्यम द्वारा नकद लेनदेन में भारी उछाल देखा गया है। क्रेडिट / डेबिट कार्डों, मोबाइल फोन अनुप्रयोगों, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई), भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) एप, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) या ई-पर्स के तहत विभिन्न अनुप्रयोगों के द्वारा नकदी रहित भारत (कैशलेस भारत) के लक्ष्य को प्राप्त करने कि दिशा में अपेक्षित प्रगति दर्ज की गई है।
निष्कर्ष: भारत जैसे विशाल देश में जहां एक बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने को मजबूर है, नकदी रहित अर्थव्यवस्था (कैशलेश इकॉनमी) लागू करने में कठिनाईयां आना तो स्वभाविक है लेकिन इस दिशा में प्रयास शुरू करना जरूरी था। आज डिजिटल माध्यम से मौद्रिक लेन-देन के प्रति लोगों के मानसिकता में एक बड़ा परिवर्तन आया है। लोग जान गए हैं कि डिजिटल माध्यम भी सुरक्षित, आसान, सुविधाजनक एवं पारदर्शी है और नकदी रहित भारत में काले धन या नकली मुद्रा की अब कोई गुंजाईश नहीं है।
निबंध 2 (300 words)
नकदी रहित या कैशलेस भारत अभी हाल ही में शुरू की गई एक ऐसी मुहिम है जिसके द्वारा भारत सरकार नकदी आधारित अर्थव्यवस्था को डिजिटल साधनों के द्वारा नकदी रहित बनाने की दिशा में अग्रसर है और इस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन लाने के लिए प्रयासरत है।
हालांकि, अगर हम भारत को वाकई में नकदी रहित बनाना चाहते हैं तो अभी हमें विभिन्न चुनौतियों से निपटने का प्रयास करना होगा। भारत एक विशाल देश है एवं ऑनलाइन माध्यम से लेनदेन करने की सुविधा पूरे देश में उपलब्ध नहीं है। छोटे शहरों और गांवों में लोगों को नकदी की कमी की वजह से विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत के अर्थव्यवस्था को सही अर्थों में नकदी रहित बनाने के लिए पूरे देश में सुविधाओं के निर्माण में बड़े पैमाने पर निवेश किए जाने की आवश्यकता है।
डिजिटल तकनीकों के सहारे नकदी के प्रवाह को नियंत्रित करने के कई फायदे हैं। बिना नकद लेनदेन की वजह से लोगों को बैंकों में नकदी रखना पड़ रहा है और इस वजह से बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ गई है। साथ ही इसके द्वारा कुछ हद तक काले धन के प्रवाह पर अंकुश लगा है। अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को समर्थन देने के लिए एवं लोगों को उधार देने के लिये ज्यादा पैसा उपलब्ध है। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह हुआ है कि यह स्थिति लोगों को पारदर्शी तरीके से अपने करों का भुगतान करने के लिए प्रेरित करेगा एवं इस प्रकार सरकार के पास जनता के कल्याण के लिए बनाए गए विभिन्न योजनाओं को चलाने के लिए अधिक पैसा होगा।
निष्कर्ष- विमुद्रीकरण के बाद से लोगों ने आखिरकार क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड, और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के अन्य चैनलों के रूप में प्लास्टिक मुद्रा में विश्वास करना शुरू कर दिया है। पर्याप्त नकदी की अनुपलब्धता के कारण ऑनलाइन बैंकिंग बाजार को प्रमुखता मिली है। इसके अलावा, भुगतान करने के लिए ई-कॉमर्स माध्यम भी लोकप्रिय हुआ है और यहां तक कि अधिकांश लोग तो अब 50 रूपए का भुगतान भी डिजिटल माध्यमों की सहायता से कर रहे हैं। इन सभी घटनाओं को अर्थव्यवस्था के बेहतर विकास के लिए अच्छा माना जा रहा है।
नकदी रहित भारत (कैशलेस इंडिया) पर निबंध 6 (400 शब्द)
केंद्र की राजग सरकार द्वारा ऊच्च मूल्य वाली मुद्रा के विमुद्रीकरण के परिणामस्वरूप नकदी रहित या कैशलेस भारत की संकल्पना का महत्व बढ़ गया है। नवम्बर 8, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 एवं 1000 रूपए के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की तो चारो-तरफ अफरा तफरी मच गई और पूरे देश में हर जगह बैंकों के काउंटरों पर अपने पुराने नोट बदलकर नए नोट पाने के लिए लोगों की कतारें लग गई।
बहरहाल इस तरह से देश में एक नई क्रांति, जिसे “नकदी रहित भारत” या “कैशलेस भारत” की संज्ञा दी गई, का आगाज हो गया और इस क्रांति ने लोगों को नकदी में लेन-देन करने की अपनी मानसिकता में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। इस कदम द्वारा धीरे-धीरे लोगों की नकदी पर आश्रित रहने की प्रवृत्ति में कमी आ रही है और देश में नकदी रहित लेन-देन की प्रक्रिया का विकास हो चुका है।
नकदी रहित भारत का महत्व
- बिना नकदी के लेन-देन की सुविधा, नकदी लाने और ले जाने से जुड़ी हुई सभी परेशानियों से राहत पहुंचाता है।
- यह वर्तमान दौर में दुनिया के साथ कदम-कदम मिलाकर चलने जैसा है क्योंकि पूरे विश्व में कई देशों में अब लेन-देन इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन के द्वारा ही होता है और इसके लिए नकदी की जरूरत नहीं रह गई है।
- डिजिटल ट्रांजेक्शन आपको अपने खर्चों को एक बार में ही सरसरी तौर पर देखकर हिसाब लगाने की सुविधा प्रदान करता है जिससे आप अपने बजट को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।
- बिना नकदी के किए गए लेनदेन की जांच आसानी से की जा सकती है इसलिए इनपर आवश्यक करों का भुगतान अनिवार्य हो जाता है जिससे काले धन की समस्या से मुक्ति मिलती है।
- कैशलेस मोड के माध्यम से कर संग्रह आसान हो जाता है और यह आर्थिक विकास की गति को तेज करता है, क्योंकि सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास एवं लोगों के समग्र कल्याण पर खर्च करना आसान हो जाता है।
- करों के संग्रह में वृद्धि होने की वजह से कर वसूली के ढ़ाचे में करों की दरें कम हो जाता है।
- गरीबों एवं जरूरतमंदों को इस माध्यम से मौद्रिक लाभ सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित करने की सुविधा मिलती है जिससे बेईमान दलालों द्वारा गरीब शोषित होने से बच जाते हैं।
- बिना नकद लेनदेन के द्वारा हवाला चैनलों के माध्यम से काले धन के वितरण पर रोक लगती है। इसके द्वारा बेहिसाब धन का आपराधिक एवं आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में किये जा रहे इस्तेमाल पर रोक लगती है।
- इस सुविधा की वजह से सरकार द्वारा करेंसी नोटों के मुद्रण एवं प्रचलन के लागत में पर्याप्त बचत होती है।
- बैंकों में भारी मात्रा में नकदी जमा रहने की वजह से ब्याज दरों को कम करने में मदद मिलती है और साथ ही बैंक इस नकदी का इस्तेमाल उत्पादक कार्यों में करने में समर्थ हो जाते हैं।
निष्कर्ष: कैशलेस या लेन-देन के लिए नकदी रहित अर्थव्यवस्था (कैशलेश इकॉनमी) की अवधारणा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का एक हिस्सा है और इसकी दृष्टि भारत को एक ऐसे समाज में बदलने पर केंद्रित है जो डिजिटल रूप से सक्षम हो एवं जहां बिना नकद लेन-देन के कई सशक्त तरीके विकसित हो चुके हों। नतीजतन, क्रेडिट / डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट्स, बैंको के प्री-पेड कार्ड्स, यूपीआई, यूएसएसडी, इंटरनेट बैंकिंग आदि जैसे डिजिटल माध्यमों के द्वारा, निकट भविष्य में भारत पूरी तरह से कैशलेस या नकदी रहित होने की तरफ अग्रसर है।
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कैशलेस इंडिया पर निबंध
By विकास सिंह
कैशलेस इंडिया, भारत सरकार द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया एक मिशन है जो भारतीय अर्थव्यवस्था की नकदी पर निर्भरता को कम करने और बैंकिंग प्रणाली में अप्रयुक्त झूठे काले धन की जमाखोरी को प्रकट करने के लिए है।
विषय-सूचि
कैशलेस इंडिया पर निबंध, cashless india essay in hindi (100 शब्द)
यह 8 नवंबर 2016 को हुआ था कि भारत सरकार ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोटों की वैधता की घोषणा करते हुए पूरे देश में तूफान ला दिया। सरकार काले या नकली धन के खतरे को रोकने के उद्देश्य से चलती है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर अपराधियों और आतंकवादियों को पोषित करने में किया जाता है।
इस फैसले के मद्देनजर पैसों की भारी कमी से एटीएम या बैंकों के बाहर लोगों की लंबी कतार लग गई, जो अपने नोट एक्सचेंज करने या नकदी निकालने की मांग कर रहे थे।
निष्कर्ष:
लेकिन आखिरकार, यह कदम नकदी रहित भारत की ओर एक प्रयास बन गया है, जो नकदी रहित अर्थव्यवस्था के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए बाध्य है, जो मौद्रिक लेनदेन में अधिक पारदर्शिता, आसानी और सुविधा द्वारा चिह्नित है।
कैशलेस इंडिया पर निबंध, Essay on cashless india in hindi (150 शब्द)
केंद्र सरकार की विमुद्रीकरण पहल और एक कैशलेस भारत के विकास की दिशा में ड्राइव दोनों एक साथ चली हैं। 500 और 1000 रुपये के पुराने करेंसी नोटों पर पाबंदी के मद्देनजर देशभर में विपक्षी दलों द्वारा कैश की किल्लत को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किए गए हैं।
हालाँकि, अभी शुरुआती कठिनाइयाँ कम हुई हैं और लोगों को डिजिटल भुगतान के सुरक्षित और सुविधाजनक तरीकों का एहसास होने लगा है। इसके अलावा, लोगों को कैशलेस मोड में जाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रोत्साहन और उपायों का एक समूह प्रदान किया है।
विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि विमुद्रीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य पर कोई दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि यह वित्त वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की 7.6% की वृद्धि के साथ फायदेमंद साबित होगा।
बैंकिंग प्रणाली ने तरलता रखने का वादा किया है जिससे लोगों को परेशानी नहीं उठानी पड़ेंगी, जो बदले में आर्थिक गतिविधि को उठाने के लिए बाध्य है।
कैशलेस इंडिया पर अनुच्छेद, Paragraph on cashless india in hindi (200 शब्द)
जब से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की गई थी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार तब से कैशलेस भारत के लिए अपनी दृष्टि को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। विमुद्रीकरण की घोषणा 8 नवंबर 2016 को की गई थी।
वास्तव में एक साहसिक कदम है कि भारत में लोग दुनिया के अन्य देशों की तुलना में नकदी पर अधिक निर्भर हैं। इस निर्णय के बाद अचानक, नकदी की भारी कमी हो गई और लोगों को उन चीजों को खरीदने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लोगों को नकदी प्राप्त करने के लिए दिन रात कतारों में खड़ा होना पड़ा।
हालांकि, इस कदम के लाभ अब अधिक से अधिक लोगों को भुगतान प्राप्त करने और भुगतान करने के डिजिटल तरीकों पर स्विच करने के साथ छल करने लगे हैं। भारत धीरे-धीरे कैश-केंद्रित से कैशलेस अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है।
डिजिटल लेन-देन ट्रेस करने योग्य है, इसलिए आसानी से कर योग्य है, जिससे काले धन के प्रचलन के लिए कोई जगह नहीं रह जाती है। पूरे देश में पैसे के लेन-देन में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें ई-भुगतान सेवाएं अभूतपूर्व गति प्राप्त कर रही हैं।
बड़ी संख्या में व्यवसाय, यहां तक कि स्ट्रीट वेंडर भी अब इलेक्ट्रॉनिक भुगतान स्वीकार कर रहे हैं, जिससे लोगों को पहले की तुलना में तेज गति से कैशलेस तरीके से लेन-देन करने की सीख मिली है।
कैशलेस इंडिया पर लेख, Article on cashless india in hindi (250 शब्द)
कैशलेस इंडिया एक ऐसा शब्द है जिसे हाल ही में केंद्र सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोटों को अवैद्य करने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ाया है। शुरुआत में, इसे गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि लोगों को पुराने करेंसी नोटों के आदान-प्रदान में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा या अपनी नकदी वापस लेना हिसाब किताब।
सरकार के आलोचकों के अनुसार, कैशलेस भारत की दिशा में इस कदम के मद्देनजर लोगों को नकदी की कमी से निपटने के लिए पहले से पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए थी। इसके अलावा, धोखाधड़ी के खिलाफ ऑनलाइन लेनदेन की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है जो भारत में बहुत आम है।
आलोचकों का तर्क है कि बाजार में आवश्यक नकदी प्रवाह की अनुपलब्धता के कारण, कई लोगों की मृत्यु हो गई और अपनी नौकरी खो दी, भारत की कैशलेस पोस्ट-डेमिनेशन बनने की एक डरावनी तस्वीर चित्रित की।
हालांकि, 500 और 1,000 रुपये के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण के बाद, देश ने डिजिटल मोड के माध्यम से कैशलेस लेनदेन में वृद्धि देखी है, चाहे वह क्रेडिट / डेबिट कार्ड, मोबाइल फोन एप्लिकेशन, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI, BHIM) के माध्यम से हो या (भारत इंटरफेस फॉर मनी) ऐप आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) या ई-वॉलेट्स आदि के तहत हो।
यह सच है कि भारत जैसे विशाल देश में कैशलेस इकोनॉमी के विचार को लागू करने में कठिनाइयाँ हैं, जहाँ बड़ी संख्या में लोग दुख और गरीबी के दौर से गुजर रहे हैं, फिर भी किसी दिन शुरुआत करनी पड़ी। आज, मौद्रिक व्यवहार के डिजिटल साधनों के संबंध में लोगों की मानसिकता में एक बड़ा परिवर्तन है जो सुरक्षित, आसान, सुविधाजनक और पारदर्शी है। कैशलेस भारत में काले धन या जाली मुद्रा का कोई स्थान नहीं है।
कैशलेस इंडिया पर निबंध, Essay on cashless india in hindi (300 शब्द)
कैशलेस इंडिया, भारत सरकार द्वारा देश की अर्थव्यवस्था में एक समुद्र परिवर्तन लाने के लिए हाल ही में शुरू की गई घटना है, जो कैश आधारित अर्थव्यवस्था को डिजिटल माध्यम से कैशलेस अर्थव्यवस्था में बदल देती है।
हालाँकि, अभी भी विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है यदि हम सच्चे अर्थों में भारत को कैशलेस बनाना चाहते हैं। भारत एक विशाल देश है और ऑनलाइन मोड के माध्यम से लेनदेन करने की सुविधा पूरे देश में उपलब्ध नहीं है। छोटे शहरों और गांवों में, लोग ज्यादातर नकदी संकट की स्थिति के कारण पीड़ित हैं।
सही अर्थों में भारत को कैशलेस बनाने के लिए, देश भर में कैशलेस लेनदेन के लिए बड़े पैमाने पर आवश्यक सुविधा को बढ़ाने के लिए निवेश की आवश्यकता है। डिजिटल तकनीक के साथ नकदी के प्रवाह को संभालने से कई फायदे हैं। कैशलेस लेनदेन ने लोगों को अपनी सारी नकदी बैंक में रखने के लिए मजबूर कर दिया है और इसलिए बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ गई है।
साथ ही, इसने काले धन के प्रवाह को कुछ हद तक रोक दिया है। अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों के पास भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि का समर्थन करने के लिए लोगों को उधार देने के लिए अधिक पैसा है। अन्य सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह स्थिति लोगों को पारदर्शी तरीके से अपने करों का भुगतान करेगी; इसलिए सरकार के पास जनता के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं को चलाने के लिए अधिक धन होगा।
पोस्ट-डिमोनेटाइजेशन, लोगों ने अंततः क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के अन्य चैनलों के रूप में प्लास्टिक मनी की शक्ति पर विश्वास करना शुरू कर दिया है। बाजार में पर्याप्त नकदी की अनुपलब्धता के कारण ऑनलाइन बैंकिंग को प्रमुखता मिली है।
इसके अलावा, भुगतान करने के ई-कॉमर्स मोड भी लोकप्रिय हो गए हैं, क्योंकि अधिकांश लोग अब डिजिटल मोड के माध्यम से भी 50 रुपये का भुगतान करना शुरू कर चुके हैं। इन सभी विकासों को अर्थव्यवस्था के स्वस्थ विकास के लिए अच्छा माना जाता है।
कैशलेस इंडिया पर निबंध, Essay on cashless india in hindi (400 शब्द)
कैशलेस इंडिया एक ऐसा कदम है जिसने केंद्र में एनडीए सरकार द्वारा उच्च मूल्य की मुद्रा के विमुद्रीकरण की पृष्ठभूमि में महत्व माना है। 8 नवंबर 2016 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की और लोगों को आश्चर्यचकित किया।
एटीएम और बैंकों के काउंटरों पर सर्पिलिंग कतार में खड़े लोग अपने पुराने करेंसी नोटों का आदान-प्रदान करने या नकदी निकालने के लिए देश भर में एक परिचित दृश्य बन गए। हालांकि, इस कदम से प्रज्वलित नई कैशलेस क्रांति ने धीरे-धीरे लोगों की मानसिकता को बदलना शुरू कर दिया, जो पहले केवल लेनदेन करने के लिए मुद्रा नोटों पर निर्भर थे।
कैशलेस इंडिया के फायदे:
- कैशलेस ट्रांजेक्शन कैश ले जाने की किसी भी परेशानी को दूर करता है।
- यह दुनिया भर में चलन में है। लोगों को दुनिया भर के विभिन्न देशों में किसी भी नकदी को ले जाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वहां अधिकांश लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जाते हैं।
- डिजिटल लेनदेन में, आप एक बार में अपने खर्चों का इतिहास देख सकते हैं जो आपको अपने बजट को आसानी से प्रबंधित करने में मदद करता है।
- चूंकि कैशलेस लेनदेन ट्रेस करने योग्य हैं, इसलिए वे जहां भी लागू होते हैं, करों के भुगतान को आमंत्रित करते हैं, इस प्रकार काले धन के उपयोग को खारिज करते हैं।
- चूंकि कैशलेस मोड के माध्यम से कर संग्रह आसान हो जाता है, यह आर्थिक विकास की गति को तेज करता है, जिससे सरकार के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे और लोगों के समग्र कल्याण पर खर्च करना आसान हो जाता है।
- कर संग्रह बढ़ने से कर संरचना में कमी और सरलीकरण होता है।
- बैंक हस्तांतरण के माध्यम से गरीबों और जरूरतमंदों को मौद्रिक लाभों का हस्तांतरण बेईमान मध्यम पुरुषों द्वारा उनके शोषण को नियंत्रित करता है।
- कैशलेस लेन-देन नकली मुद्रा या हवाला चैनलों के माध्यम से काले धन के वितरण के लिए एक बड़ा झटका है। यह आपराधिक और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में उपयोग किए गए बेहिसाब धन की आपूर्ति में भी कटौती करता है।
- यह मुद्रा नोटों की छपाई और प्रचलन में सरकार को पर्याप्त लागत बचाता है।
- बैंकों के पास धन की तरलता में वृद्धि होने से उनकी ब्याज दरें कम हो जाती हैं और उनके पास जमा की गई भारी मात्रा कुछ उत्पादक उपयोग में आ जाती है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का एक हिस्सा, भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था की अवधारणा देश को एक समाज में बदलने की दृष्टि पर केंद्रित है, जो कि कैशलेस लेनदेन के कई तरीकों द्वारा डिजिटल रूप से सक्षम और सशक्त है।
नतीजतन, क्रेडिट / डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, बैंक प्री-पेड कार्ड, UPI, AEPS, USSD, इंटरनेट बैंकिंग आदि जैसे डिजिटल मोड मुद्रा में प्राप्त हुए हैं, जिससे निकट भविष्य में कैशलेस इंडिया हो सकता है।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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नकदविहीन (नकदी रहित) का अर्थ है बिना नकद के वस्तुओं को खरीदना। भारत में रूपये से पहले भी वस्तुओं का आदान प्रदान वस्तु विनिमय के माध्यम से होता था। वस्तु विनिमय के तहत लोग एक वस्तु खरीदने के बदले सामने वाले को जरूरत की वस्तु उपलब्ध कराते थे। कैशलैश भारत कोई नई चीज नहीं है यह प्राचीन काल से चलता आ रहा है। उस समय जो सबसे बड़ी समस्या थी वह दोनों के पास एक दुसरे की जरूरत का सामान होने की थी।
दोबारा फिर भारत में नकद विहीन क्रय विक्रय की शुरूआत की गई है जिसमें लोग पैसों का लेन देन ऑनलाईन ही कर लेते हैं। इसके लिए सरकार ने सभी बिल, रेलवे टिकट, बैंकिंग आदि की सुविधाओं को इंटरनेट से जोड़ दिया है। नोटबंदी के दौरान काशलैश भारत देखने को मिला क्योंकि उस समय स्थाई मुद्रा की कमी होने के कारण लोग वस्तुओं का आदान प्रदान नकदी न करके बैंको के जरिए कर रहे थे।
कैशलैस होने के बहुत सारे फायदे हैं। ऐसा करने से काला धन इकट्ठा नहीं होगा और न ही आय कर में चोरी हो पाएगी। हर काम में पारदर्शिता रहेगी और देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी। पैसों की गिनती में गलती नहीं होगी और न ही पासे निकालने के लिए बैंको में लाईन लगानी पड़ेगी। कागज की भी बचत होगी जिससे ति पेड़ कम कटेंगे और पर्यायवरण को नुकसान नहीं होगा। भारत को कैशलैश बनाने से कोई भी आंतकवादी देश में नहीं आ सकेगा और देश का विकास जल्दी होगा।
कैशलैश भारत के सामने बहुत सी चुनौतियाँ भी हैं। भारत में कुछ लोगों के पास मोबाईल नहीं है और जिनके पास है उनके पास भी स्मार्ट फोन नहीं है जिसकी वजह से पूरा भारत कैशलैश नहीं बन सकता है। भारत में इंटरनेट की स्पीड भी कम है जिससे कि कैशलैश होने में दिक्कत आती है।
कैशलैश होने से लोगों को फायदा भी बहुत होगा। ऑनलाईन होने की वजह से बहुत सी चीजों पर छुट मिलती है जिससे कि महंगाई में भी फर्क पड़ेगा। कैशलैश होने के लिए हम पूरी तरह से बैंको के पैसे पर निर्भर है। बैंको में पैसा होना चाहिए और सभी लोगों के पास क्रैडिट और डेबिट कार्ड होने चाहिए। सभी को चाहिए कि वह काशलैश भारत की निर्माण करे और सारा लेन देन बिना नकद करें। सभी व्यवस्था सुचारू रूप से की जानी चाहिए और बैंको को भी अपने पास कैश रखना चाहिए जिससे कि भारत को कैशलैश अच्छे से और पूर्ण रूप से बनाया जा सके।
#Essay on Cashless India in Hindi
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नकदी रहित अर्थव्यवस्था एक मिशन है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने शुरू किया है। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की नकदी पर निर्भरता को कम करना है ताकि देश में बड़ी मात्रा में छपे काले धन को बैंकिंग प्रणाली में वापिस लाया जाए। इस मिशन की शुरूआत 8 नवंबर 2016 को हुई जब सरकार ने एक क्रांतिकारी पहल करते हुए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का अवमूल्यन कर दिया।
भारत सरकार ने काले धन और नकली मुद्रा द्वारा चलाई जा रही समानांतर अर्थव्यवस्था, जिसे मुख्य तौर पर अपराधियों एवं आतंकवादियों की फंडिंग के लिए प्रयोग किया जा रहा था, को समाप्त करने के लिए पुराने नोटों का अवमूल्यन कर दिया। इस निर्णय की वजह से पैसे की भारी कमी से जूझते लोगों को अपनी पुरानी मुद्रा बदलवाने एवं नई मुद्रा प्राप्त करने के लिए बैंकों एवं एटीएम के बाहर लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा और इस वजह से लोगों को डिजिटल माध्यम का सहारा लेना पड़ा और सरकार भी यही चाहती थी कि ज्यादा से ज्यादा लोग डिजिटल माध्यम का यूज करें क्योंकि डिजिटल माध्यम पर निगरानी रखी जा सकती है और काला धन और नकली नकली मुद्रा पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है। इसी वजह से सरकार भी नकदी रहित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन दे रही है।
मुद्रा के विमुद्रीकरण के बाद देश में डिजिटल माध्यम द्वारा नकद लेनदेन में भारी उछाल देखा गया है। क्रेडिट / डेबिट कार्डी, मोबाइल फोन यूपीआई, भीम एप, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली या ई-पर्स के तहत विभिन्न अनुप्रयोगों के द्वारा नकदी रहित अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने कि दिशा में अपेक्षित प्रगति दर्ज की गई है।
भारत जैसे विशाल देश में जहां एक बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने को मजबूर है, नकदी रहित अर्थव्यवस्था (कैशलेश इकॉनमी) लागू करने में कठिनाईयां आना तो स्वभाविक है लेकिन इस दिशा में प्रयास शुरू करना जरूरी था। आज डिजिटल माध्यम से मौद्रिक लेन-देन के प्रति लोगों के मानसिकता में एक बड़ा परिवर्तन आया है। लोग जान गए हैं कि डिजिटल माध्यम भी सुरक्षित, आसान, सुविधाजनक एवं पारदर्शी है।
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कैशलेस इंडिया पर निबंध – Essay on Cashless India in Hindi
भारत में नोटबंदी की घोषणा के बाद से देश भर में एक बड़ा परिवर्तन देखा गया है, जिसे हम कैशलेस अर्थव्यवस्था के रूप में जानते हैं। इस परिवर्तन ने भारत में आर्थिक तंत्र को पूरी तरह से आधुनिक और डिजिटल बना दिया है। इस निबंध में हम कैशलेस भारत की अवधारणा, इसके लाभ और चुनौतियों, और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
Table of Contents
कैशलेस अर्थव्यवस्था की परिभाषा
कैशलेस अर्थव्यवस्था का तात्पर्य उस आर्थिक प्रणाली से है जिसमें विनिमय या लेन-देन के लिए नकदी का उपयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय, सभी वित्तीय लेन-देन डिजिटल माध्यमों जैसे डेबिट/क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, नेट बैंकिंग, और UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के माध्यम से होते हैं।
कैशलेस अर्थव्यवस्था का महत्व
कैशलेस अर्थव्यवस्था का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
- भ्रष्टाचार में कमी: कैशलेस ट्रांजैक्शन के माध्यम से भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम लगाई जा सकती है क्योंकि हर लेन-देन का एक डिजिटल रिकॉर्ड होता है।
- सुविधा और सुरक्षा: डिजिटल लेन-देन नकदी की चोरी और धोखाधड़ी के जोखिम को कम करता है और लेन-देन को सुविधाजनक बनाता है।
- आर्थिक समावेशन: डिजिटल भुगतान प्रणाली ग्रामीण और गरीब वर्गों को भी मुख्यधारा की बैंकिंग सेवाओं में शामिल करती है, जिससे आर्थिक समावेशन बढ़ता है।
- आधुनिक भारत: कैशलेस अर्थव्यवस्था भारत को आर्थिक दृष्टि से एक मजबूत और आधुनिक देश बनाने की दिशा में एक प्रमुख कदम है।
कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए भारत सरकार के कदम
भारत सरकार ने कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिए जाएंगे। इस कदम का प्रमुख उद्देश्य भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम लगाना था।
2. डिजिटल इंडिया पहल
डिजिटल इंडिया पहल के तहत सरकार ने देश भर में इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया ताकि सभी नागरिक डिजिटल भुगतान कर सकें।
3. भुगतान ऐप्स और मोबाइल वॉलेट्स
भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने पेटीएम, गूगल पे, फोनपे (PayTm, Google Pay, PhonePe) सहित कई डिजिटल भुगतान प्लैटफॉर्म्स को प्रोत्साहित किया है। इन ऐप्स ने लोगों के लिए डिजिटल लेन-देन को सरल और सुलभ बना दिया है।
4. भीम और यूपीआई (BHIM और UPI)
(BHIM) भारत इंटरफेस फॉर मनी ऐप और (UPI) यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस को विकसित किया गया जिससे बैंक खातों के बीच तत्काल और सुरक्षित लेन-देन संभव हो सका।
5. मर्चेंट डिजिटाइजेशन
सरकार ने दुकानदारों और व्यापारियों को डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया और इसके लिए पीओएस (POS) मशीनों और क्यूआर कोड (QR Code) की व्यवस्था की।
डिजिटल भुगतान के लाभ
डिजिटल भुगतान प्रणाली ने विभिन्न लाभ प्रदान किए हैं:
1. समय की बचत
डिजिटल भुगतान प्रणाली में लेन-देन तेज़ और आसान होता है, जिससे समय की बचत होती है। अब पैसे भेजने या प्राप्त करने के लिए बैंक की लंबी लाइनों में खड़े होने की आवश्यकता नहीं है।
2. पारदर्शिता
हर डिजिटल लेन-देन का रिकॉर्ड होता है, जिससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ती है। यह कर चोरी और भ्रष्टाचार के मामलों को कम करने में मदद करता है।
डिजिटल भुगतान के माध्यम से आप कहीं भी और कभी भी पैसे भेज सकते हैं या प्राप्त कर सकते हैं। इससे व्यापारिक लेन-देन में भी आसानी होती है।
4. सुरक्षित
डिजिटल भुगतान नकदी की चोरी और धोखाधड़ी के जोखिम को कम करता है। इसके अलावा, अधिकांश डिजिटल भुगतान प्लैटफॉर्म्स में सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं, जो लेन-देन को सुरक्षित बनाते हैं।
कैशलेस अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ
हालांकि कैशलेस अर्थव्यवस्था के कई लाभ हैं, फिर भी इसके सामने कुछ चुनौतियाँ और समस्याएँ हैं:
1. डिजिटल साक्षरता
ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। अधिकांश लोग अभी तक स्मार्टफोन और इंटरनेट का सही उपयोग नहीं जानते हैं।
2. इंटरनेट कनेक्टिविटी
देश के कई हिस्सों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी भी एक बड़ी समस्या है। बिना उचित कनेक्टिविटी के डिजिटल भुगतान संभव नहीं है।
3. साइबर सुरक्षा
साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा भी एक चिंता का विषय है। डिजिटल लेन-देन में सुरक्षा का विशेष ख्याल रखना जरूरी है।
4. तकनीकी समस्याएँ
कई बार तकनीकी समस्याओं के कारण डिजिटल लेन-देन में रुकावट आ सकती है। नेटवर्क की समस्या, ऐप का क्रैश हो जाना, आदि इनमें शामिल हैं।
समाधान एवं भविष्य की दिशा
उपरोक्त चुनौतियों का समाधान करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. डिजिटल साक्षरता अभियान
सरकार और निजी संगठनों को मिलकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता अभियान चलाने चाहिए, जिसमें लोगों को स्मार्टफोन और इंटरनेट के उपयोग के बारे में शिक्षित किया जाए।
2. इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
देश भर में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर देना चाहिए। इसके लिए अधिक से अधिक टेलीकॉम टावर और फाइबर ऑप्टिक केबल्स बिछाए जाने चाहिए।
डिजिटल भुगतान के सुरक्षित होने के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाना आवश्यक है। इसके लिए सुरक्षा तंत्र जैसे OTP (वन-टाइम पासवर्ड) और दो-स्तरीय प्रमाणीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
4. तकनीकी सहायता
डिजिटल भुगतान से जुड़े तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए एक सशक्त तकनीकी सहायता केंद्र स्थापित किया जाना चाहिए, जहाँ लोग अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें।
कैशलेस भारत की दिशा में उठाए गए कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। यह एक ऐसी प्रणाली है जो न केवल भ्रष्टाचार और काले धन को नियंत्रित करेगी, बल्कि आम जनता के लिए भी सुविधाजनक और सुरक्षित होगी।
हालांकि इस दिशा में अभी कुछ चुनौतियाँ हैं, लेकिन समाधान की दिशा में उठाए गए कदम हमें एक मजबूत और आधुनिक आर्थिक तंत्र की ओर अग्रसर कर रहे हैं। सरकार और जनता के सहयोग से हम उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में भारत एक पूर्णतः कैशलेस अर्थव्यवस्था बनेगा।
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कैशलेस अर्थव्यवस्था पर निबंध |Cashless Economy Essay in Hindi
by StoriesRevealers | Jun 1, 2020 | Essay in Hindi | 0 comments
Cashless Economy Essay in Hindi : भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था की अवधारणा का श्रेय हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जाता है। पीएम मोदी ने भारतीय जनता को महान भारत के निर्माण के लिए कैशलेस लेन देन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
नोट बंदी के बाद पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कैशलेस इकोनॉमी से भारत की ताकत बढ़ेगी और भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगी। मोदी जी ने कहा कि आज कैशलेस लेनदेन का समय है क्योंकि हम 21 वीं सदी में रह रहे हैं और युवा पीढ़ी प्रौद्योगिकी की दुनिया में आगे बढ़ रही है।
Cashless Economy Essay in Hindi
हमें अपने दिमागी सोच को बदलना होगा और कदम से कदम मिला कर अपनी युवा पीढ़ी को पूरा सहयोग देना होगा। पीएम मोदी ने विमुद्रीकरण के बाद लोगों को कैशलेस लेन देन के लिए प्रोत्साहित किया है।
पीएम मोदी ने नोट बंदी के जरीये भारत में काले धन की समस्या, भ्रष्टाचार, जाली नोट, हवाला कारोबार से लड़ने का फैसला किया। ये सभी समस्याएं बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में अड़चन पैदा कर रही थीं। इसलिए मोदी जी नोटबंदी के जरीये जनता के बीच भ्रष्टाचार कम करने और देश में केशलेस लेन-देन का बढ़ावा देना चाहते है।
उत्तर प्रदेश की एक परिवर्तन रैली में, मोदी ने कैशलेस लेन देन के लिए जनता को संबोधित करते हुए और देश के कल्याण के लिए पूर्ण समर्थन की मांग की। मोदी जी ने कहा, आज भारतीय इंटरनेट और प्रौद्योगिकी और स्मार्ट फोन का उपयोग कर रहे हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट का उपयोग करने वाले 503 मिलियन लोग है। और हमारी युवा पीढ़ी सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, जीमेल,आदि) पर चर्चा करती है। भारत में 2017 के अंत तक, 314 मिलियन मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे, मोबाइल एसोसिएशन इंडिया की रिपोर्ट।
कैशलेस इकोनॉमी से लाभ
आज युवा पीढ़ी और वरिष्ठ नागरिक, व्यापारी, छात्र ज्यादातर सभी लोग स्मार्ट फोन का उपयोग कर रहे हैं। हर कोई जानता है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश है। एशिया में, चीन के बाद, भारत अर्थव्यवस्था के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा देश है।
कैशलेस का अर्थ लेनदेन के लिए नकदी नहीं है। अब लोगों को ई-बैंकिंग प्रणाली, ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग सेवा, डेबिट और क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, ई-वॉलेट का उपयोग करने की आवश्यकता है।
यह व्यापार और रिकॉर्ड के लिए आसान है। यह किसी भी घोटाले मेे आपके लेन देन के रिकॉर्ड के जरीय व्यवसाय में पारदर्शिता बनाए रखेगा।
यह आपको अंतरराष्ट्रीय जगत के लिए नया रास्ता प्रदान करता है। कैशलेस ट्रांजेक्शन से भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी। यह जीडीपी की वृद्धि मे मदद करेगा।
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पीएम मोदी ने साल 2017 की पूर्व संध्या में स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता के लिए नए मोबाइल बैंकिंग एप्लिकेशन (फंड ट्रांसफर और कैशलेस ट्रांजेक्शन) की घोषणा की थी। कई देश कैशलेस अर्थव्यवस्था और कैशलेस लेनदेन का उपयोग कर रहे हैं जैसे फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया आदि।
कैशलेस अर्थव्यवस्था के अवगुण
भारत के लिए कैशलेस अर्थव्यवस्था की अवधारणा देश में पैसों के लेन-देन मे पारदर्शिता लाना है। सरकार हमारे देश की तुलना कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए दूसरे देश से कर रही है। हम भारत की उस वास्तविकता के बारे में विशेष रूप से जानते हैं जैसी की ग्रामीण क्षेत्रों में निरक्षरता दर और गरीबी। भारत के उन नागरिकों के बारे में जो शिक्षित नागरिक नहीं हैं, महिलाओं को ई-बैंकिंग या इंटरनेट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
वह लोग प्रौद्योगिकी सेवा को समझने में असमर्थ हैं। वे लोग हस्ताक्षर करने में असमर्थ हैं जिसके लिए वह अँगूठे का उपयोग कर रहे हैं, और पढ़ने या लिखने में असमर्थ हैं, उन्हें कैशलेस अर्थव्यवस्था के योग्य कैसे बनाया जा सकता है।
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अन्य देशों में बेहतर साक्षरता है और अधिकांश लोग ई-बैंकिंग प्रणाली के बारे में जानते हैं और समझते हैं।
कैशलेस सिस्टम शहरी क्षेत्र के लिए अच्छा होगा ग्रामीण क्षेत्र की तुलना मे।
कैशलेस प्रणाली भविष्य में साइबर सुरक्षा, हैकिंग, पासवर्ड सुरक्षा जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है और इसके लिए सरकार को मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली बनाने की आवश्यकता है।
कैशलेस अर्थव्यवस्था के गुण और अवगुण दोनो पर विचार करना चाहिए और इसे बहतर बनाना चाहिए। बहरहाल, भारत युवा शक्ति का देश है। युवा पीढ़ी का देश, कैशलेस अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा वरदान होगा।
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Essay on Cashless Economy in Hindi
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Essay on Cashless Economy in Hindi | कैशलेस इकॉनमी पर निबंध हिंदी में
नमस्कार दोस्तों आज हमने आप सभी पाठकों के लिए कैशलेस अर्थव्यवस्था से होने वाले फायदे व नुकसान पर एक निबंध लिखा है। इसके फायदे व नुकसान जानने से पहले हम आपको कैशलेस अर्थव्यवस्था क्या होती है इसके बारे में बताएंगे।
कैशलेस अर्थव्यवस्था से अभिप्राय एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें नकदी मुद्रा का इस्तेमाल नहीं होता है। अगर आधुनिकता की बात करें तो इसका मतलब डिजिटल पेमेंट से लगाया जा सकता है। सरल भाषा में कहा जाए तो कैशलेस अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें वित्तीय लेनदेन के लिए वास्तविक रूप से पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि इसका प्रयोग डिजिटल रूप से किया जाता है।
कैशलेस अर्थव्यवस्था क्या है
कैशलेस अर्थव्यवस्था “नकदी रहित” अर्थव्यवस्था है। इसमें सभी लेनदेन डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, बैंकिंग भुगतान प्रणाली जैसे NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रांसफर पेमेंट), IMPS, RTGS, UPI द्वारा किये जाते है यह ऐसी व्यवस्था है जिसमे पैसे के भुगतान को सिर्फ महसूस कर सकते हैं लेकिन छू नहीं सकते।
कैशलेस अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल
कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों के अनुसार कहा जा सकता है कि दुनिया में पिछले कुछ वर्षों से कैशलेस अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। स्वीडन देश में कुल 59% लेन देन कैशलेस होता है। कनाडा में लगभग 57% कैशलेस होता है चीन जैसे विकसित देश में भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
आज के आधुनिक समय में भारत देश में भी कैशलेस अर्थव्यवस्था के इस्तेमाल में तेजी से इजाफा हुआ है। इसका महत्वपूर्ण कारण केंद्र सरकार द्वारा सन् 2016 में लाए गए कानून ₹500 व ₹1000 की मुद्रा के विमुद्रीकरण को दिया जाता है।
सरकार आलोचकों के अनुसार ऑनलाइन पेमेंट सबसे खराब तरीका है। इससे धोखाधड़ी कि संभावनाएँ अत्यधिक होती है फिर भी ₹500 और ₹1000 की मुद्राएं के विमुद्रीकरण के बाद इस डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेजी से इजाफा हुआ है।
डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, PayTm, Google Play व अन्य मनी ट्रांसफर के माध्यम से भुगतान नकदी रहित किए जाने लगे हैं। सरल भाषा में कहा जाए तो जब अधिकांश धन का लेन-देन चेक, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग व डिजिटल पेमेंट आप्लिकेशन से किया जाए और कागजी मुद्रा एवं सिक्के का चलन न हो तो उसे कैशलेस अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
कैशलेस अर्थव्यवस्था की फायदे व नुकसान
आज के आधुनिक समय में कैशलेस अर्थव्यवस्था ऑनलाइन पेमेंट के इस्तेमाल करने के महत्वपूर्ण फायदे तो है ही साथ ही साथ ही साथ इसके प्रयोग से लोगों के सामने काफी चुनौतियाँ भी आ रही हैं।
कैशलेस अर्थव्यवस्था “नकदी रहित” लेनदेन के फायदे
कैशलेस अर्थव्यवस्था जिसमें ऑनलाइन पेमेंट हम घर बैठे बहुत ही कम समय में कर सकते हैं। कैशलेस अर्थव्यवस्था से भ्रष्टाचार, कालाधन, हवाला कारोबार, कर चोरी, एवं नोट छपाई पर होने वाले महत्वपूर्ण खर्च, जाली मुद्रा इत्यादि से निजात मिलता है।
- काले धन के प्रवाह पर अंकुश : कैशलेस अर्थव्यवस्था में लोगों के द्वारा ऑनलाइन पेमेंट करने से सरकार के पास आपके लेन-देन का भी पूरा ब्यौरा होता है और बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ जाती है इससे जनता पारदर्शी तरीके से अपने करों का भी भुगतान करती हैं, सरकार के पास लोगों के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं को कायम रखने के लिए अत्यधिक धन भी होता है। कालेधन पर अंकुश रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन् 2016 में मुद्रा विमुद्रीकरण करके कैशलेस अर्थव्यवस्था में इजाफा किया क्योंकि डिजिटल लेन-देन को ट्रैक किया जा सकता है अपितु नकदी मुद्रा को नहीं, बैंको के पास ऐसी नकदी मुद्रा प्रवाह का पूरा रिकॉर्ड नहीं होता है जिससे काला धन संचयन बढ़ता है। कैशलेस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत सभी लेनदेन संगठित चैनलों के माध्यम से किए जाते हैं। जिससे कर चोरी कर पाना असंभव होता है परिणाम स्वरूप सरकार को अत्यधिक राजस्व मिल पाता है।
- धोखाधड़ी से बचाव: नकद रहित अर्थव्यवस्था की वजह से होने वाली धोखाधड़ी में कमी आती है, कैशलेस अर्थव्यवस्था में जाली नोट, नकदी चोरी होने की संभावना अत्यधिक कम हो जाती है।
- नोट छपाई खर्च से निजात : कैशलेस अर्थव्यवस्था जिसमें मुद्रा रहित भुगतान किया जाता है। इसकी वजह से कागजी नोटों की छपाई व सिक्के निर्माण में आने वाले खर्च में भी कमी होती है। भारतीय रिजर्व बैंक हर साल नोटों की छपाई में करोड़ों रुपये खर्च करता है इसके अलावा एटीएम लगाने में आने वाले खर्च से भी निजात मिलता है।
- भुगतान में आसानी: कैशलेस अर्थव्यवस्था के माध्यम से घर बैठे ऑनलाइन पेमेंट करके कम समय में खरीदारी भी कर सकते हैं। जो कि आजकल की भागदौड़ भरी जिदंगी में बहुत कारगर सबित हो रहा है।
- सुरक्षित होता है: इसका महत्वपूर्ण लाभ यह भी होता है कि व्यक्ति को अपने साथ नकदी रखने की आवश्यकता नहीं होती, नकदी एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में व्यक्ति को अनेकों असुविधा का सामना करना पड़ता है जैसे चोरी व व्यक्ति पर हमला होने का भी खतरा बना रहता है।
- तीव्र गति से भुगतान: कैशलेस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत नागरिक बहुत कम समय में एक जगह से दूसरी जगह पेमेंट भेज सकते हैं भुगतान करना, पेमेंट रिसीव करने जैसी गतिविधिया चंद समय में हो जाती है।
कैशलेस अर्थव्यवस्था के नुकसान
कैशलेस अर्थव्यवस्था के फायदों के साथ-साथ इसके इस्तेमाल करने से अनेकों चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। जैसे इंटरनेट की धीमी स्पीड, साइबर सुरक्षा, अत्यधिक चार्ज लगने का डर, अशिक्षा व जागरूकता की कमी इत्यादि।
- साक्षरता की कमी: कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है लोगों का शिक्षित होना, अगर व्यक्ति शिक्षित ही नहीं होगा तो उसे ऑनलाइन भुगतान करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। डिजिटल पेमेंट का ज्ञान सभी को नहीं है जिस वजह से यह केवल शहरी और अर्धशहरी क्षेत्रों तक ही सीमित रह जाता है। इसलिए संपूर्ण देश में इसे लागू कर पाना काफी मुश्किल है क्योंकि आज भी बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ बहुत बड़ी आबादी में लोगों तक शिक्षा नहीं पहुंच पायी है।
- इंटरनेट की उचित सुविधा न होना: इंटरनेट की उचित सुविधा न होने से इसका इस्तेमाल करना असंभव हो जाता है।कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है कि इंटरनेट का उचित प्रबंध हो अगर इंटरनेट अच्छा नहीं होगा तो इससे समय की खपत भी अत्यधिक होगी।
- भुगतान शुल्क : डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करने से कुछ लोग इसलिए भी कतराते हैं क्योंकि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, वॉलेट पेमेंट, इंटरनेट बैंकिंग जैसे भुगतान करने में उन्हें अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
- हैकिंग संबंधित खतरे: कैशलेस अर्थव्यवस्था का सबसे नुकसानदायक पहलू यह है की इसमें लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी या हैकिंग का शिकार हो जाते है और अपना मेहनत से कमाया गया पैसा कुछ मिनटों में ही गवा देते हैं। इस वजह से कुछ लोग कैशलेस से बेहतर नकद पेमेंट व्यवस्था को मानते हैं।
अत: हम कह सकते है कि कैशलेस अर्थव्यवस्था के इस्तेमाल से थोड़ी बहुत परेशानी आना तो स्वभाविक है लेकिन फिर भी आज के आधुनिक समय में मौद्रिक लेनदेन के प्रति लोगो कि मानसिकता में एक बड़ा परिवर्तन आया है। अब लोग जान गये हैं कि डिजिटल माध्यम भी एक सुरक्षित, आसान, सुविधाजनक एवं पारदर्शी साधन है जिसके इस्तेमाल से कालेधन, जाली नोट इत्यादि कि कोई गुंजाइस नहीं रहती है।
आपको इस निबंध से कैशलेस अर्थव्यवस्था से सम्बधिंत फायदे व नुकसान समझ में आए होगें। आप समझ पाये होगें कि यह आपके लिए कैशलेस लेनदेन का माध्यम कितना कारगर है और आप किन बातों को ध्यान में रखकर इस व्यवस्था का लाभ उठा सकते है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा कैशलेस इकॉनमी पर निबंध हिंदी में (Essay on Cashless Economy in Hindi) , उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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